________________ जिक्षा / से निजोदरपूर्तये // 7 // सखर्परकरो बाख्या-दपि निकोपजीविकः // अनेकान् / जोगिनो लोका-नालोक्यैवं व्याँतयत् // 7 // एते बजते सन्मान-मिष्टं शिष्टं , जोजन / गलहस्तं पुनरह-महो कमै विचित्रता // ए // एकदा तस्य जाग्येन / मिलितो ज्ञानसागरः // केवली तं प्रणम्याय-मपृचद् सुखकारण // 20 // मुनिना कथितास्तस्यां-दितः पूर्वज वा समें // उक्तं च ते जिन व्य-जहणा, पुःखमोदृशं // 11 // इति वाक्यं मुनेः श्रुत्वा / जातजातिस्मृतिः क्षणात् // आत्मकर्म निनिंदायं / पश्यन् पूर्वनवान् निजान् // 15 // ऊंचे च लगवन् पापा-न्मुच्येऽई कथमीहशात् ॥.मुनिनोक्तं निज द्रव्यं / व्ययी कुर्या जिनालये // / // 13 // ततस्तेन समुत्थाया-निग्रहों जगहे मया // यदर्जयिष्यते द्रव्य / तन्मोदये जिनमंदिरे // 14 // एकं विहाय कौपीनं / वारमेकं च नोजनं // साहाय्यं च विधास्यामि / प्रा. सादेषु शरीरतः॥ 15 // इत्यनिग्रहपूर्व स। सम्यक्त्वं समुपादंदे // श्रद्धावान् श्राधर्म च. / / मुनि नत्वावजत्ततः // 16 // अनिग्रहग्रहोत्पन्न-पुण्यास्किंचन किंचन // अर्जयन् द्रव्यमा. / त्मीय-मनिग्रहमपालयत् // 17 // स मृत्वा त्वमजू राजन् / जिनप्रव्यादनादितो // पाप PP.AC.GunratnasuriM.S.. Jun Gun Aaradhak Trust