________________ चरित्रं की यदि // केवली कश्चिदायाति / पृछामि वनवं तदा // ए६ // इति कुर्वाणयोर्वार्ता / तयोः / श्रीधर्मसागरः॥ ननसोऽवातरत्तत्र / चारणर्षिश्च केवली ॥ए / राझोत्थाय जटित्येष / स्थापितः स्वासने मुनिः॥ वंदितो बहुलक्त्या च / यो जितांजलिना स्तुतः // ए // अवृदा कुसुमोत्पत्ति-रनन मेघवर्षणं // अचंऽश्चंभिकोबासो-कस्माद्यस्त्वं निरीक्षितः॥ एए // अचैतदजयत्स्वर्णा-चलं स्वर्णमयं पुरं // कल्पमाधिका यत्र / श्रीमत्पादा उपाययुः॥ 70 // स्तुत्यंते मुनिना चक्रे / देशना जवनाशनी // तदंते भुजुजोत्थाय / पृष्टं स्पष्टतरादरं // 1 // संदेहध्वांतविध्वंस-दिवाकर मुनीश्वर // प्रसद्य वद किं नाम / मया पूर्वनवे कृतं // 2 // पूर्व पापमहं जातो। येन दुःखजरातुरः // किं कृतं सुकृतं पश्चा-येनैवं सुखमाप्तवान् // 3 // // युग्मं // ततः केवलिनावादि / राजन् पूर्वनवे नवान् // जिनदत्त इति श्रेष्टी / गोष्टिकोsभूङ्गिनालये // 4 // जिनेअजविणं तेन / निःशूकत्वेन नदितं // तेन तेन पापेन / प्रापे नरकगह्वरं // 5 // चिरं चांत्वा जवांजोधौ / निःस्वस्यैकस्य मंदिरे // जातः पुत्रो जनेः काले माता ययौ यमालयं // 6 // क्रमान्मृतः पिता तस्य / ब्रमन्नपि निराश्रयः / कृलेप लगते / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust