________________ असगरो नवदास्पदं // वृदं बेत्स्यति यतोऽथ / प्रत्यक्षः सन्नदोऽवदत् // 5 // वरं वृणीष्व धी रात्म-स्ततोऽवादी प्रियध्वजः // रचयैकं पुरं स्वर्ण-मयं रत्नविभूषितं // 6 ॥अनेकप्रविण चरित्रं श्रेणीः / दिप्त्वा तत्र पुरांतरे // अनृणीभूय भूयोऽत्र / यथेष्टं तिष्ट पादपे // 7 // यदोऽपि 270 तादृशं तत्र / तत्क्षणं सकलं व्यधात् // मुधा नवंति नो वांडा / महत्योऽपि महात्मनां // 7 // प्रियध्वजोऽप्युपादाय / द्रव्यं किंचित्पुरात्ततः // प्राप्तो जोगवतीपुर्या ।वर्यवेषविभूषितः // 9 // तत्र व्यबलेनैष / चक्रे नव्यान् धनान् जनान् ॥स्वजनांश्च शालिग्रामा-दाकारयदसौ सुधीः ए॥ हस्तिनस्तानुपादाय / सह स स्वजनैजनैः // पुरे यदकृते प्राप / विमाने श्व देवराद |ए॥ सोऽदाहिनज्य सर्वेच्य / आवासान् सविणं च तत् // सर्वैर्महामहःपूर्व / राज्येऽस्था-। पि प्रियध्वजः // ए // पुरं यदपुरं ह्येत-त्सोऽयं राजा प्रियध्वजः // वजनाश्च जनाश्चैते / त एते मत्तसिंधुराः // ए३ // इति प्रियध्वजामात्य --वाक्यमाकर्ण्य विस्मितः // कुमारः प्राह राज्ञोऽस्य / नूनं पुण्योदयो महान् // ए४ // वृक्षोदयो विना बीज। न स्यान्ना विना दिनं // प्रकाशो न विना तेजः / सुखं नो सुकृतं विना // ए५ // राजा प्राह कुमारेछ / सत्यमेतत्परं / P.P.AC.Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust