________________ प्रत्येका किनी त्यक्त्वा / युवान्यां गम्यते कथं // कूपछायैव ही व्यर्था / यौवनश्रीयुवां विना // 4 // गमयिष्यामि हि जन्म / कथं ह्येकामपि क्षपां // पद्मिनी गमयेत्कष्टा-त्पद्मिनीखामिनं विना चरित्र // 46 // युवामनुगमिष्यामि / स्वप्रियौ विमुखावपि // विमुखस्यापि सूर्यस्य / बाया किं ना. नुगामिनी // 4 // निशां त्यक्त्वा निशानायो। वासरं जासुरं भजन // शुष्कपिप्पलपत्रानः / कलावानपि दृश्यते // 40 // सुतरां यामिनीतुल्यां। जामिनी विरहातुरां // जवद्न्यां सुखमिबद्न्यां / हित्वेतो गम्यते कुतः // 45 // एषोऽश्वोऽश्वो न यदो नो / किंवत्सौ पुष्टराक्ष सः // प्रतार्य मानवान्नित्यं / निजस्थाने विनाशयेत् // 50 // चतुर्थे विपिने ह्यस्य ।मायास्थानं प्रवर्तते // अनेके मारिता मुग्धा-स्तेन वां विप्रतारितौ // 51 // युवयोर्गतयोस्तत्र / मा कार्षीत्स प्रतारणं // अत एव मया पूर्व / निषिमं गमनं वने // 55 // इति नार्या वचः शृएवन् / हावनावैर्दिशन्मनः // अनंगव्याकुलस्वांतो-ऽनंगसेनो व्यचिंतयत् // 53 // अश्वेन राक्षसीत्येषा / कन्यका प्रतिपाद्यते // राक्षसश्चानयाश्वोऽयं / सत्यं किमुनयोस्ततः // 54 // // एषापी नस्तनी स्वर्ण सवर्णा वरवर्णिनी // कोमला कदलीवांगे-रुत्पलोत्फुललोचना // 55|| P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust