________________ प्रत्येक Jष्यति स नंक्ष्यति // कुर्वाणं वह्निना स्नेहं / तत्कणं म्रक्षणं यथा // 33 // कृता अपि गुणा || नीचे / जति दुःखदेतवे // तन्वत्यपि गुणांस्तंतुः / पूर्णिकायाः दयाय यत् // 35 // यत्र त न हि स्नेहः। करणीयो विचरणैः // तिला यंत्रेण पीड्यन्ते / सर्वत्र स्नेहकारिणः // 36 // श्त्येवं तस्य वाक्यानि / श्रुत्वा तौ मुदितौ हृदि // हुं स एव समायातो / यक्षराजो दयानिधिः // 37 // उत्तरीतुमथो लग्नौ / तत्क्षणं सप्तमक्षणात् // नोजनार्थी कथं तिष्टे-सादरं चेन्निमंत्रितः // 37 // नाथ नाथेति जल्पाका / तन्वती प्रेम कृत्रिमं // देहबायेव संजाता / सा तयोः सहचारिणी, // ३ए // यक्षप्रजावतः कृत्या / न तयोर्गतिमस्खलत् // मेघे सति न. दीपूरः / स्खख्यते किं. शिलासिनिः // 40 // उत्तीर्य नूपतेर्गेहा-वेगवंतौ च वायुवत् // था. रोहता हयाकार-धारकं यक्षनायकं // 41 // यक्षश्चचाल वेगेन / तावादाय दयामयः // अन्वायाता पिशची सा / हावजावान् वितन्वती // 45 // उबलापानुगबंती विलापानि च तत्वती // चक्षुयाः सकटाक्षान्यां। सेक्षमाणा निरंतरं // 53 // तमितं किं त्यजेन्मेघः / कौमुदीशचः कौमुदी॥ दिवा दिवाकरः किं वा / रतिप्रीतिः किमंगजः // 4 // तन्मामेका P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust