________________ प्रत्येक पुनत्विा / दंतुं शक्तिमुददिपत् // धाकृष्य चानयद् पूरं / देवदिन्नस्तदैत्य तं // 55 // चिप पद्मभूपस्य / सूरसेनः- शरोस्करान् // युयुत्सुराजगामाग्रे / धनुरादीनखमयत् // 63 // चरित्रं रामसेनो हतोऽनेन / जरता निहतेन किं // हन्यते हरिषेणोऽथा-पराधी सैन्यनायकः / 27 // 54 // विगणय्येति तं पद्मः। प्रबलः प्राचलत्ततः // सकलं व्याकुलं कुर्व-न्नुग्रास्त्रैर्वैरिणो बलं // 55 // तस्मिन् विपदवृदोघान् / पातयत्युग्रवातवत् // पूरेण रेणुवत्तूर्ण-मुड्डीनं हरिसैनिकैः // 56 // क्व रे स हरिषेणाख्य / इति जल्पतमुहतं // हरिः प्रतिहार प्राप। व. कुटीनीषणाननः // 57 // यद्यदस्त्रं मुमोचायं / तत्तत्पद्मस्तदाछिदत् // पद्मश्चिदेप, यद्यच्च / हरिस्तत्तदखंम्यत् // 50 // युध्यमानावुनौ वीरौ / पश्यंत्यो व्योन्नि देवताः // नैव तस्थुन जग्मुश्च / जीतिकौतुहलाकुलाः // एए॥ चिरात्खमितसस्त्रिः / पद्मो रोषारुणेक्षणः // बाततान तमःस्तोमं / स्मृत्वा प्रस्खापनास्त्रकं // 60 // गज़स्था गजकुंनेषू-एशीर्षेष्विव मस्तकं दुत्वा सुषुपुरवस्था / अश्वस्था अपि निजिताः॥ 61 // ध्वजदंमानवष्टन्य / रथिनो मिलि. | तेक्षणाः // खजान् धनूंषि चालंब्य / निद्रां चक्रुश्च पत्तयः // 6 // एवं विसंस्थुलं सैन्यं / / RAT PP..O.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust