________________ चितां // 64 // रामसेनोऽप्यथाचष्ट / पटिष्टवचनोच्चयैः // मन्ये भूत तवेशस्य / सन्मंत्री ना- || स्ति कश्चन // 65 // यस्य बुद्धिर्भवेत्स्वेन / ददः को वा विचक्षणः // स प्रसुप्तस्य सिंहस्य / कर्णाप्रेमं करोति किं // 66 // केयं कुबुद्धिस्त्वनतु-दियं मम मेदिनी // राज्यानि वीरजोज्यानि / कस्य सत्कानि संत्यहो // 6 // अदत्तं यदि पझेन / हरिषेणनरेश्वरः // राज्य गृह्णन् नवेच्चौरो / जारश्चैनां शुजांगनां // 67 // तदा श्रीहरिषेणेना-दत्तं राज्यं च योषितः // मुंजानो न कथं जावी / चौरो जारश्च पद्मराट् // ६ए // दूतः प्रभूतमाटोप-माधायेत्यज्यधात्पुनः // युवाज्या बालबुझिन्यां / कश्चिन्न ज्ञायते नयः॥ 70 // श्रियः समापि पमोऽपि / न स राज्ञः कुतश्चन // संकोचं याति मित्रस्य / प्रत्युतोहासकारकः // 1 // यस्य गायंति संग्राम-नूमौ प्रेतांगना यशः // पतितारि शिरोमाला-तालास्फालनलालसाः // // 3 // यस्य हुंकारमात्रेण / सिंहस्येव जयातुराः // शृगाला श्व भूपाला / न चरंति महीतो // 73 // यस्याप्रतिहतं चक्रं / कृतांतवदनाकृति // ब्रांत्वा बिनत्ति शीर्षाणि / वैरिणां नाललीलया // 4 // यक्षा यस्य वसंति साजुज़योरष्ट्रौ सहस्रास्तथा / यस्याने जरतार्धभू- // PRAc Genratnasuri M.S. .. Jun Gun Aaradhak Trust