________________ जो छ धनुस्तूणीरमक्षयं // 3 // रत्नानि नररत्नाच्यां / प्रदायैतानि देवताः॥ स्मारणीयाः पुनः काः || ॥यें / इत्युक्त्वा स्वास्पदान्यगुः // 44 // * ... . . / अथान्यदा नृपास्थाने / पूतः श्रीगृहपत्तनात् // समाजगाम पझेन / प्रेषितः प्रतिक्रिः पा.॥ 45 // स प्राह साहसाधारो / जरतार्धधराधवैः // संसेव्यपादपझेन / पझेन प्रेषितोऽस्म्य // 6 // तेनादिष्टं तवास्त्येतद् / नृत्यानां वस्तु यदुनवेत् // तत्स्वामिसत्कमेवेह / यते तदत्तजीविनः // 7 // अस्मत्सेवकसत्कस्य / राज्यस्य स्वामिनो वयं // कन्या समुपदत्ता सा / युज्यतेश्याकमेव च // 4 // तदस्माजिरदत्तं स्व-राज्यं नारी मिमां च नः // शुंजा. नो न कथं जावी। निग्राह्यश्चौरजारवत् ॥४ारे मुग्ध दुग्धवदन / त्वं न जानासि कंचन / / व्यवहारं महीपीठे / बाल्ये किं नाम विद्यते // 5 // // विद्यते यदि नो मेधा / तव तातस्य चेतसि // तदा मान्यो न मंत्री किं / मतिमांस्तमशिद्धयत् // 51 // सूरसेनो धिया हीनो / येनेह प्रेषितो जवान् // संक्लेशबहुले स्थाने / को दकः स्वं शिशुं क्षिपेत् // 55 // सुमतिः कुमतिश्चायं / यस्त्वामाहूतवानिह / सुधीः कः करिणो प्रासं / रासजाय प्रयबति // // P.P: Ac. Gunratnasuri M.S. . . Jun.GuriAaradhak Trust .