________________ र चरित्र 24 नृत् // प्राविशत्सोत्सवं लोकै-लोक्यमानः सकौतुकं // 35 // नृपासने निवेश्याथ / मंलिसा- || मंतमंमलैः // हरिषेणकुमारस्य / चक्रे राज्यानिषेचनं // 33 // समं स रामसेनेन / प्रजापालनलालतः // सुखं करोति साम्राज्यं / न्यायांबुजदिवाकरः // 34 // अन्यदा देवदिन्नः स / विद्याधरनरेश्वरैः // तस्मिन् पुरे समायासी–सेवायै पितृपादयोः // 35 // श्रुत्वा व्यतिकरं सर्व / हरिषेणनरेशितुः // नररत्नैर्जुतांयां स / सजायां समुपाययौ // 36 // हरिषेणेन हर्षेण / वासनार्धे निवेश्य सः // अपछि कुशलोदंतं / दंतपंक्तिप्रकाशिना // 37 // तदादरात्प्रसन्नेन / देवदिन्नेन साग्रहं.॥ प्रज्ञप्त्याद्या महाविद्या / ददिरेऽस्मै प्रमोदतः // 30 // तेनापि ददिरे सर्वा / रामसेनाय बंधवे // विधिना साधेनायासा-मुपविष्टावुनावपि // ३ए // तदधिष्टायिका देव्यः / प्रत्यदीभूय तत्क्षणं // सिद्ध्यंतिम हि महतां / विलंबो न समीदते // // 40 // नाविने वासुदेवाय / हरिषेणाय ता ददुः // दिव्यानि नीलवासांसि / सप्त रत्नान्यमूनि च // 41 // संग्रामिको रथः शार्ङ्ग / धनुः कौमुदकी गदा // श्रीवत्सो नंदकः खगस्तूणीरव्यमदयं // 45 // रामाय नीलवासांसि / तथा रत्नचतुष्टयं // दिव्यं हलं चमुशलं।। P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust