________________ का 3 // स मुनिधर्मदेवाख्यो / देवैः कृतमहामहः // देवदिनादिजिलोंकः / समागत्य स्म वैद्यते // .. | शामजनेन तदैकेन / समेत्यैतनिरूप्यते // जिज्ञासुनृपतेवृत्त / तदंते गतवान // 55 // चरित्रं प्रारेने सं सुधादेश्यों / देशना दर्शनांशुनिः॥शुद्धसिद्धिशिलावर्ण-वर्णिकामिव दर्शयन् // 6 // जो जो जव्या जवजलं निधौ प्राप्य दुःप्राप्यमेतं / सारछीपोपमनरजवं न प्रमादो विधेयः // यादातव्यं सुकृतसखिलं चारुचारित्ररत्नं / ग्राह्यं येनाग्रत इह सुखं जायते सर्वदैव // 17 // यो निश्चलमतिः कुर्या-ऊर्म शमैविधायकं / / तस्य विनी प्रयासं स्युः / संपदः सकला अपि // // अवशहषीकतुरंग-रवश्य जंतुरुन्तैः // नीयते नरकारण्ये / लक्ष्मीदेवेनृपो यथा // ॥एए // दानादिधर्मरक्तानां / विरक्तानों च पाप्मनः // परोपकाररक्तानां / श्रियः स्युर्देवदिनवत् // 60 // अत्रांतरे समुत्थाय / नत्वा चंडमतीसुतः॥ अप्रादी कि प्रनो पुण्यं / मया पूर्वनवे कृतें // 61 // बजाणं केवली साधुः / शृणु वृत्तांतमादितः // अस्त्यत्र धनिलोकेन / पूर्णा धनपुरी पुरी // 6 // तंत्र कॉमध्वजौ राजा / तस्य सन्माननाजनं // जनमान्यो धनैः || श्रेष्टी / धनसारानिधोऽनवत् // 63 // अगण्यपुण्यलावण्य-पीयूषरससारणीः // परिणिन्यै च / /