________________ का संदेशा जवतः सर्वे। तत्पुरः प्रतिपादिताः // रए // वबमानमिदं तैन। जवंतं प्रतिभाणित // कृतीत इति में नाम / कृतस्यांतं करोमि यत् // 20 // सुकृतं पुकृतं वापि / यथा येन कृतं चरित्रं भवेत् // तस्मै तादृक् फलं यबन् / कथमन्यायकार्यहं // 1 // परं पालयितुं न्यायं / नियु२३७ क्तोऽस्ति मया जवान् // अन्यायं स्वयमितं / त्वां सहिष्ये न शक्तिमान् // 3 // सिंधुर्वधुरभूघ्याघ्री / नाजिधन्नाग्निरग्रहीत् // यमोऽपि पक्षपात्वेष / तन्नूनमजरामरः // 24 // इति चिंतातुरो जूत-अस्तवतून्यमानसः // पीतासव श्व प्रापै / राजा राजांगणं ततः // 25 // यदोऽपि देवदिन्नाय / स्वरूपं तन्निरूप्य सः // अवतस्थे गृहंस्यांत-हितचित्तस्तिरोहितः॥ // 26 // राजापि विफलीनूतान् / विज्ञायोपायपादपान् // उपायमस्मरन्नन्यं / जझे कामज्वरातुरः॥ 17 // द्विष्वहःखतीतेषु / गत्वा चंद्रमतीसुतः // अपलदेव जवतो / वपुरस्ति निरामये // 27 // निरामयत्वं कुत्रात्रो-हरे दाघज्वरे सति // तनोतं तर्हि वैद्योक्ता-न्योषधानि विधीयतां // // राझोक्तं विहितान्येव / नाभूत्कोऽपि गुणः परे // शेषनाग शिसेरत्नं / यद्यायाति तदा नवेत् // 30 // शक्तियुक्तश्च सर्वत्रा-स्खलितप्रेससे जवान् // अनुकंपापरः / PP.AC.Guniatnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust