________________ चरित्रं प्रत्येक। सः॥ 63 // कौशोऽनुक्रोशबुद्धीनां / स गत्वा राजमंदिरं // निश्चेष्टं मातलक्षितं / क्षमापा- || लमलोकत / / 64 // समुबलत्कृपावारि-क्षालितेषऽषानलः // लोकान्निष्काख तत्कर्णा--- ज्यक्त्यैवमन्यधात् // 65 // मयि प्रसादमाधाय / यक्षराज कृपापर // अमुं मुंच ततो यही 235 / भूपास्येनेत्यभाषत // 66 // अमुमेनःकर नूनं / गुरोस्ते वचनादहं // त्यजन्नम्यधुना श्रा कः। शुधीः कुगुरुं यथा // 67 // श्त्युक्त्वा यदनिर्मुक्तो / मुक्तनि श्वोत्थितः // नूपतिस्तेन चाहूताः / प्रनृतास्तत्र पूरुषाः // 6 // अहो जाग्यमहो विद्या / धृतिरहो महीयसी // देवदिन्नं जना एवं / हृष्टास्ते सुष्टु तुष्टुवुः // ६ए // राजा जीवितमात्मानं / वैरिणं च पुरः स्थितं // देवदिन्नं समालोक्य / हर्षशोकाकुलोऽनवत् // 70 // पुनाश्चिंतयितुंलग्नो / मनो मदनवारिधौ // जीवितं सफलं तर्हि / मिलंति यदि ता मम // 71 // तदुत्थायाधुनैवाहं / तासामावासमाश्रये // नैवं यतो देवदिन्नो। पुर्धर्षोऽयमुपाययो // // अस्मिन् सत्यस्य वै- | श्मांतः / प्रवेष्टुं कः दमो नवेत् // जाग्रत्यपि मृगारातौ / तद्गुहायां हि को विशेत् // 3 // // अथ केनाप्युपायेन / हन्म्येतमिति र्चितयन् // धराधनी जनौऽप्यन्यः / स्वं खमास्पदमाश्र HAPPEAC..Gunratrasur