________________ षधैः // 55 // परं केनाप्युपायेन / नाभूभृपो निरामयः // चेतनारहितो जज्ञे / काष्टवच्चेष्ट- / / योषितः॥ 53 // तत्र मंत्री सुमत्याख्यो / मुख्यो मतिमतां जगौ // देव दिन्नो दिव्यशक्ति चरित्रं यद्यायाति कथंचन // 24 // तदा जीवति राजायं / नान्यथा व्याप्तविष्टपं // ध्वांतं शांतं || जवेत्किं वा / यावन्नोदेति जानुमान् // 55 // इत्युक्त्वा देवदिन्नांते / सोऽप्रैषीन्निजसेवकान् // अध्वन्यनेकराजानो / येनाजीयंत सत्वरं // 56 // तैर्गत्वा कथितं देव / लक्ष्मीदेवनरेश्वरः // दष्टो दुष्टाहिना नाना-विधोपायैर्मुधाजनि // 57 // मंत्रिणामंत्रणकृते / तवाग्रे प्रेषिता व| यं // आगढ सह सैन्येन / स्वपुरंप्रति संप्रति // // इत्याकोपकारैक-कारकः सैनि कान्निजान् // दत्तव्यावर्तनाज्ञः स / नभस्युत्पतितः स्वयं // 5 // गबन् गगनगामिन्या / विद्यया गगनांगणे // आगादागारमात्मीयं / सोऽचिराचारुलोचनः // 60 // स्वामिनं वीक्ष्य चंगांग्यः। प्रोचुरालिंग्य तत्प्रियाः // स्वामिन्नत्र त्वमायातो। जीवनाय नरेशितुः // 6 // परं तस्य न दातव्यं / जीवितव्यं दुरात्मनः // प्राज्ञो निजितसिंहस्य / चक्षुषी को विबोधयेत् || // 65 // पूर्वप्रवृत्तवृत्तांत-स्ततस्तानिस्तदग्रतः॥ समग्रोऽपि न्यरूप्याप / परं कोपं नृपेन || PP.AC.Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust