________________ प्रो चरित्रं // 41 // अन्यथा का न वांत / तादृशं नूपतिं पति // रहस्थेऽपि गृहाधीशे / किं पुनर्पूरवर्तिने // 42 // परं त्रपागुणैर्वद्धा / वयं किल कुलस्त्रियः // कथमागंतुमावासे। क्षमापस्य दमामहे // 43 // तया मुदितयावादि / त्रपावत्सु मता रूपा // एकांते तर्हि घस्रांत-ऽत्रै. वायातु महीपतिः // 44 // एवम स्त्वित्यनुज्ञाता / सा हर्षोत्कर्षशालिनी // भूपाय त्वरितं गत्वा / वृत्तांतं तं न्यवेदयत् // 45 // तदाकर्णामृतेनेव / सिक्तो मृत श्वोत्थितः॥ लब्धत्रैलोक्यसाम्राज्य / श्व राजा जहर्ष सः // 46 // वासरं गमयामास / कथंचिगणयन् दणान् // संध्यायां कृतश्रृंगारो / जनेनैकेन संगतः // 47 // गतः प्रबन्नमुबिन्न-न्यायश्वन्ना ननरंबली // देवदिन्नप्रियावास-मंदिरछारि सुंदरे // 4 // तावद्लुजंगमीभूय / यदराजो मनोरमः // तं दुष्टं दष्टवानंहौ / पतितो मूर्छितस्ततः // ४ए // मान्यो मान्यों जनो रा. को-ऽन्यायं वेत्त्विति चिंतयन् // जनो नुवनसुंदर्याः। पट्टराझ्या न्यरूपयत् // 50 // तयाप्यप्रकट प्रेष्यान् / प्रेष्यानीय नरेश्वरः // शुश्रूषयितुमारब्धो ऽनेकानामंत्र्य मांत्रिकान् / // 51 // मत्रैस्तत्रैश्च यंत्रैश्च / तैरतीवचिकित्सितः // अनवद्यैः सवियैश्च / स वैद्यैर्विविधौ-।। PP.AC.Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust