________________ नावातोशांतमनोबुधिः // अधीरतां रतस्तासु / जेजे वृत्तमवेत्य तत् // 31 // जने नियंजने / / स्थाने / वने चांतःपुरे पुरे // रतिः माप्रतिपालेन | नापि कापि मनागपि // 3 // अनुचरित्रं, त्पन्नापरोपायः प्रजिघाय स्मरातुरः॥ सोऽनुशिष्य विशेषेण / पूती तामेव तद्गृहे // 33 // 225|| अस्मिन्नवसरे यदः / प्रत्यहीभूय तत्पुरः // नृपेण प्रहिता पूती / सागचंत्यस्ति सांप्रतं // // 3 // मान्यं तस्या वचः पश्चा-त्करिष्येऽहं यथोचितं // इत्युक्त्वा जाग्यवत्तस्थौ / स हितात्मा तिरोहितः // 35 // युग्मं // पूती मंदपदा गत्वा / तत्र मंदपदावदत् // हे मुग्धा पुग्धवन्मुग्धं / स्निग्धं दिग्धमिवामृतैः // 36 // मुधा मेने न मानेन / नवतीनिर्वचो मम // कथयाम्यथ किंचिच्चेद् / हृदयं तत्रं दीयते // 3 // ईषधिहस्य शस्यास्या-स्ता जचुश्चतुराशयाः // नूनं त्वं प्रेषिता राझा / निर्विकल्पं प्रजल्प तत् // 30 // इत्यलापीकलापीनशशिवत्सुंदरोऽपि सः // नवतीविरहातप्तः / श्यामिकामादधेऽधुना ॥३ए // तादृक्षः कोणिजुन्मुख्यो / दह्यमानः स्मरामिना // खांगसंगजलौघेनो-चितः शमयितुं हितः // 40 ॥जजपुस्ता यदस्मानिः / पूर्व त्वमिति सिता // भूपस्नेहपरीक्षाये। समस्तमपि विधि तत् P.P.AC.Gunratnasuri.M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust