________________ -220 प्रत्येक अथात्यंतबलिष्टत्वा-तं विजित्य समेष्यति // नविष्यति तथाप्यस्य / चिरकालविलंबनं // // 20 // तत्प्रेयसीना निकटे / तत्प्रेष्य निजतिकां // दानादिना वशीकृत्य / प्रीत्या ता रमा चरित्रं याम्यहं // 11 // इति नूमिपतिर्ध्यात्वा / पूती मायामिवांगिनीं // प्रैषीत्साप्यंतिके तासां। गरीकांतेस्म जाषते // 22 ॥हे सुंदर्यः स्वसौंदर्य-विनिर्जितपुरंदरः // लक्ष्मीदेवड़मेशो वो। मन्मुखेनेत्यबीलणत् // 3 // ईहे कलयितुं लीलां / मराल व लालसः // गांगेऽब्धिवत्तरंगेषु / युष्मदंगेषु जोगलाक् // 25 सारालंकारमाणिक्य-पट्टकूलादिवस्तु यत् // युष्माकं युज्यते सर्व / नजयात् पूरयिष्यते // 25 // एवमाकर्य कौँ ताः / पिधायान्यधुरुजतं // आः पा पेपसरेतस्त्व-मुपदेष्ट्री घनैनसा // 6 // प्रजानां जायते राजा। न्यायान्यायविवेककृत् // खंतं स्वयमन्यायं / धिगमुं निस्वपं नृपं // 7 // सकामगर्दलीय / भूपश्चेदिति जल्पति // नदैतदर्थमायांती / किं त्वमपि न लजसे // // एतदर्थे कथं वाणी / कृपाणीव निरागसि // सारणीवोच्चदेशे च / व्यूढा मूढमते तव // श्ए // इति निर्ल्सता पूती / तत उ. त्थाय निर्ययौ // आगत्य भूपतेः पावें / स्वरूप निखिलं जगौ // 30 ॥भूपो विकल्पकल्पांत- || P.P.AC. GunratnasuriM.S... Jun Gun Aaradhak Trust