________________ अनागते पुनस्तस्मिनाहारनियमो मम // 6 // तमो नृत्या अमात्याश्च / श्रेष्टिनो जव तोतरा // अस्ति कश्चिहिपश्चिद्यो / हारमाहस्तेबुधेः॥ // वदंतमिति नूपालं / श्रुत्वा स. चरित्र वेऽपि.मानवाः // अंधो निधाय वक्त्राणि / तस्थुश्चिंतातुरा इव // // परकायॆकनिरतो। विरतो दललोजतः // एवं साहसमालंब्य / देवदिन्नस्तदावदत् // नए // महाराज न कर्तध्यो / मनस्तापो मनागपि // प्रविश्यावश्यमेवाब्धौ / समानेष्यामि वस्तु ते // ए // अनौषधमयं व्याधि-गछन्नस्तीति चिंतयन् // तक्तमेवमाकर्ण्य / सप्रकर्ष जहर्ष सः // ए१ // ऊचे च देवदिन्न त्वं / गुणी सत्पुरुषाग्रणीः // इदं साधय साध्यं मे / किमसाध्यं महात्मनां // ए // तावत्कंपितमूर्धानो / जजल्पुः सकला जनाः // अयं सत्पुरुषत्वेन / खामिकार्य प्रपद्यते // ए३ // परं देवायमादेशो / दातुं नैव तवोचितः // हितोऽगाधे पयोनिधौ / प्रवेशं कोऽनुमन्यते // ए४ // युग्मं // श्रुत्वेति लोकवाक्यानि / मौनमाधाय भूधवः / प्रतिपन्नमयं नूनं / पालयिष्यति सत्तम // एy // लोककोलाहलं हाला-हलवत्कटुकं स्फुटं // आकर्णयामि किमहं / गहामि स्वीयमाश्रयं // ए६ // ध्यात्वेति सपरीवारः / पुराय प्राचलन्नृपः // एका- || 'P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust