________________ प्रो औं / समयां शक्तितोऽकरोत् // 31 // देवदेवी जिरारब्धे / गीतनृत्यादिकोत्सवे // गुह्यकः सः || है. कन्याजि-स्तानिस्तमुदवाहयत् // 35 // क्रीमन्नथ स पत्नीनि-रप्सरोनिः सुरेंज्वत्॥ चरित्रं सुखं तस्थौ दिनान् कांश्चि-तत्र पुण्यलतालये // 33 // अन्यदा प्रचुरप्रेम-कलिता वनिता जगुः // स्वामिस्तवापरा कापि / वह्वभा विद्यते न वा // 34 // अनाणि देवदिन्नेन / काप्यन्या मास्ति मे प्रिया // संसिझसर्वविद्यास्ता। इत्यूचुश्चतुराशयाः // 35 // स्वामिनकृत्रिमप्रेम-सुंदरी देवसुंदरीं // तवापलपतस्ताव-नौचिती नातिवर्तते // 36 // यतो विदेशमाश्रित्य / प्रस्थानं त्वयि कुर्वति // योऽनिग्रहो गृहीतोऽनू-भवतः पुरतस्तया // 37 // श्राचाम्लैः पारणं षष्ट-तपोंते तेन साकरोत् // षएमासांतेऽधुना वह्नि-प्रवेशायोद्यतास्ति च // // 30 // तन्नाथ नाथ ते युक्तो / विलंबः दणमप्ययं // गत्वा प्राण प्रियाप्राणान् / रदै ददशिरोमणे // 35 // प्रस्थानमनुमेने य-त्तव सा हर्षशालिनी // जानीहि केवलं तत्र / ज ननिंदा निबंधनं // 40 // प्रज्ञप्तीदेवता सर्व-मेवमस्मन्यमन्यधात् // तन्नाथ सत्वरं गत्वा / त्वं || तो मृत्योर्निवारय // 41 // इति ताज्यः समाकर्य। देवदिन्नः स खिन्नहृत् // अभूत्पूर्वप्रिया-|| / SPEAD..Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust