________________ धृता स्तिष्टंति ता ह // अहं तासां पुनर्धात्री। चंद्रलेखेतिसंझिका // 10 // चंद्रलेखेव ताः सर्वा / वार्धिवेला श्वोत्खणाः // अत्र तिष्टामि पुष्णंती। वात्सल्यामृतवर्षिणी // 11 // चरित्र अथ ताः कन्यिकाः सर्वा / जझिरे यौवनोन्मुखाः॥ तद्योग्याय वरायैष / यदो दातुं समी२१७ // हते // 10 // परं बरंपरीक्षायै / स नृणां सत्वमादितुं // चक्रे कुंमध्यं न / जलस्य ज्वलन स्य च // 11 // जलकुंडे कृतस्नानो / वह्निकुंडेऽत्र यो विशेत् // तस्मै संतुष्टचित्तः सन् / कन्या यदो ददाति वा // 15 // वैताढ्याचलमौलिस्थे / नगरे जनवने // तं सत्वशालिनं नूनं / स्वामिनं कुरुते सुतं // 13 // कुतः कुतोऽपि संस्थाना-दनेकेऽप्यैयरुनराः॥ पुरस्तेषां मयाख्यायि / वृतांतः सकलोऽप्ययं // 14 // परं साहसहीनत्वा-त्कश्चिदेवं करोति न // प.. श्यन्नपि मणि पाणि / को वा विपति पन्नगे // 15 // तनोः पुरुष सत्त्वं चे-त्तव किंचन वर्तते यदि वांबसि ताश्चात्र / तथा कुरु यथोदितं // 17 // इत्याकर्ण्य कटित्येव / देवदिन्नस्तयो. दितं // स्नानं विधाय नीरेण / वह्निकुंमांतरेऽपतत् // 17 // तावन्मनोरमो यक-स्तत्सत्त्वाव | र्जितः क्षणात् // तत्रापर्ततमेवामु-मुध्धृत्याग्रे स्फुटोऽजवत् // 15 // ऊचे च तव सत्त्वेन / Ac.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Test