________________ प्रत्येक यत् // 3 // ततस्तातांतिकं गत्वा / स प्राह पितरादिश // मां विदेशाय येनाह-मर्जयामि || खयं श्रियं // 35 // तातेनोकमहो वत्स / तवेला केन रुध्यते // परं क्वैतबरीरं ते / कदलीगर्नकोमलं // 36 // पाषाणकर्कशांगांगि-गम्या मार्गाः क्व ते सुत // विघ्नक्लेशजयानामुं / तवादेशं दिशाम्यहं // 3 // अनाणि देवदिन्ननः / श्रियः स्युनोंद्यम विना // कोमलं च वपुर्जाति / स्त्रीणां पुंसां पुनर्न हि // 30 // विनशंका न कर्तव्या। विदेशं ब्रजतो मम॥ आकाशे चरतो जानोः / स्खलना किं क्वचिनवेत् // 3 // // इत्यत्यंताग्रहं ज्ञात्वा। पुत्रस्य जनको ददौ // विदेशगमनादेशं / तस्मायादेशवर्तिने // 40 // ततो विदेशयात्रायै। सोऽपृ. बद्देवसुंदरीं // बजाण साथ दे नाथ / युक्तमेतनवादृशां // 41 // उत्पत्तिस्थानके हीनाः / कीयंते ध्वविदितौ // आक्रमत्य खिला दोर्णी / पादै नुवघुत्तमाः // 42 // श्रुत्वेति दे. वदिन्नस्य / कुविकल्पो हृदंतरा // उत्पादि नवत्येषा / न नूनं शीलशालिनी // 43 // या जहर्षानुमेने च / मद्देशांतरवार्तया // पत्युः प्रवासमाकर्ण्य / सत्यः स्युः साश्रुलोचनाः // 44 // सतीनां संकुचत्यास्यं / विदेश व्रजति प्रिये // पद्मिनीनामिव छीपां-तरं गबति जास्वति // / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust