________________ वृषलेजकुंजासिंहान् / स्वप्ने सापश्यदन्यदा // काले चाजीजनत्सूनुं / तेजःपुंजविराजितं // m || || तस्य प्रतिष्ठितं नाम / रामसेन श्तीदृशं // दितीशेनोत्सवं कृत्वा / स च वृद्धिं शनैरगात् चरित्रं || // // कलाकलापमन्यस्य,-निरस्यन् हीनसंगति // स कमात्कामिनीकामो-दीपनं यौवनं / / ययौ // 6 // तस्यैव भूमिपालस्य / रूपसौभाग्यसंपदा // यहितीया द्वितीयाभू-सूरकांतानिधा प्रिया // 7 // वृषनेलमृगासति-हया निशशिजास्करान् // सूचकान् वासुदेवस्योत्पत्तेः स्वप्ने ददर्श सा॥७॥ प्रारूपय स्त्रियस्याये / विचार्यैवं. बताण सः॥ प्रिये तवं सुतो नूनं / बासुदेवो नविष्यति // ए.॥ हर्षोत्कर्षवती गर्ने / सा बजार ततो हृदः॥ दोहदान् पूरयंती स्वान् / प्रसूता सुतमुत्तमं // 10 // पुत्रजन्मोत्सवं कृत्वा / दत्वा दानमनुत्तरं // हरिषेण इति. नाम / राजा सूनोरतिष्टपत् // 11 // पश्चान्माद्रियतेऽस्मान्नो। रूपवत्स्त्रीविमोहितः // इति बाल्येऽपि सर्वास्त-मालिलिंगु कलाः किल // 12 // हरिषेणरामसेनौ। प्रीतिमंतौ प. रस्परं // मीलनोन्मीलने नेत्र--युग्मवत्कृरुतःस्म तौ // 13 // इंझोपेंजाविकायातौ। पृथ्वीं तौ यौवनाश्रितौ // दृष्ट्वाश्विनीकुमाराजौ / के के कारि विस्मयः // 14 // अथो समुद्रदत्ता- / / -- P.P.AC.Gunratnasuri M.s. . Jun Gun Aaradhak Trist