________________ // 6 // पंचप्रकारविषया-मृतरसनिमग्नयोः // अभवन् भूरयः पुत्रा-स्तयोः कुलविजूषकाः॥ // // // व्यतिक्रांते घने काले / रत्नसिंहनरेश्वरः // आरुह्य पुष्पसिंहं स्वं / विमानं स्वर्गि- चरित्र रि ययौ // 7 // तत्र शाश्वतचैत्यानि / वदित्वा जक्तिनाजिनौ // जिनानां पुरतो नृत्य-गी. 205 // तगानादि चक्रतुः॥ ए // आत्मनोः कृतकृत्यत्वं / मन्यमानावुनावपि // गतौ श्रीमंदिरपुरे // सुखिनो तत्र तिष्टतुः // 7 // अन्यदा लब्धचारण-लब्धिरब्धिगुणश्रियां // स एव पद्मदेवर्षि-राययौ तत्र पापहृत् // // श्रुत्वा तदागमं गत्वा / नत्वा रोमांचकंचुकौ // तहाणीरसमापातुं / स्थितौ बझांजली उन्नौ // 2 // तद्यथा-कल्पांतार्क श्वोत्तापी / विरसश्चार्कपुपवत् // अर्कतूल श्वासारः / संसारः कस्य शर्मणे // 3 // जवारण्ये जनान्मोहो। धूर्तवधूर्तयत्यसौ // ईषहिषयसौख्यानि / प्रदाग्रे स फुःखदः // 4 // कणदृष्टविनष्टानि / सु. खानि सकलान्यपि // इंजाल श्वालोके / संसारे संति सर्वथा // जनो मोहमयीं पीत्वा / मदिरां गतचेतनः // एषोऽहं वसु चैतन्मे / जानात्येतहिमोहितः // 6 // राज्यं बैरिजनैरगंजिततरं गर्जद्गजै राजितं / कांताः कांतगुणोज्ज्वला ज्वलनवत्तेजस्विनः सूनवः // - - - - P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust