________________ चरित्रं 200 प्रत्येक र्श्वतः // 65 // सविस्मयेषु भूपेषु / क एष इति चिंतयन् // तत्रारूढः प्रौढतेजाः / पुष्पासिंहो || // धनुर्षहन् // 66 // वेगेन रत्नसिंहेन / स नीतः खेचरांतिकं // तेन मर्मणि बाणेन। वज्रणेव हतो हृदि // 6 // स तत्याज दणात्प्राणान् / कन्या च करपंजरात् // पतंती रत्नसिंहेन / धृता पाणी प्रसार्य सा // 60 // आरोपिता समानीय। विमाने पुष्पसिंहराट् ॥प्रत्यागात्तत्पितुगैहै / राजावाप परां मुदं // ६ए // लक्ष्मीशेखरराजेंडः / कृत्वा वर्धापनं मुदा // अकार्षी|| बोजने लग्ने / विवाहं विहितोत्सवं // 70 // पुष्पसिंहनरेंधाय / दत्वा दानमनर्गलं // अमूमुचत्सुतापाणिं / सत्कारं चाकरोद् घनं // 1 // सर्वे सत्कृत्य सत्कृत्य / विस्तृष्टातेनं भूलुजः // ययुर्निजं निजं स्थानं / राजानो बहुमानिताः // 32 // पुष्पसिंहोऽन्यदाएछ-द्रत्नसिंहं कृतादरः // को जवान् कल्पवृक्षानः / परोपकृतिकर्मठः // 73 // तेनोक्तं निजमेवैत-त्कार्य कोत्रोपकारिता // मां नो जानासि किं बंधो / रत्नसिंहं निजानुजं // 5 // इति जल्पन् कृतखाना-विकरूपः सहोदरं // आलिंग्य वनसुंदर्या / लाजवृत्तांतमन्यधात् // 35 // तावुलो चातरौ तत्र / कियतोऽपि दिनान् स्थितौ // वखप्रियायुती प्राप्तौ / स्वस्वपत्तनयोश्चिरात् // || PP.Re. Gunratnasuri Mrs. Jun.Gurr Aaradhak. Trust