________________ // 3 // विवाहसमयं पुत्र्या / ज्ञात्वा तङननीसुरः // अचीकरचयोरेत्य / पाणिग्रहणमुत्स वैः // 4 // राजेंज रक्षणीयेयं / देहबायेव पार्श्वगा // इत्युक्त्वा स सुरः प्राप्तो / निश्चितो चरित्रं निजमाश्रयं // 45 // कुलपतिश्च सत्कृत्य / खेचरें व्यसर्जयत् // सोऽपि प्राचलदारोप्य / .205 विमाने वनसुंदरीं // 46 // गत्वा शाश्वतचैत्येषु / श्रीमन्नंदीश्वरादिषु // नत्वा स्तुत्वा पूज: यित्वा। जिनान् पुण्यं नृपोजयत् // 4 // व्याघुट्यात्मीयनगरं / प्रत्यागन्निरैत // विजये पुष्कलावत्या-मेकस्मिन्नगरे नृपः // 4 // मिलितानेकभूपालं / बकौच्चैर्मचममलं // स्वर्णस्तंजादिशोनाढयं / स्वयंवरणमंझपं // 45 // युग्मं // कौतुकं दृष्टुकामेन / वने परिकर नि. जं // निवेश्यैका किना राज्ञा / तत्र प्रावेशि मंगपे // 50 // विशिष्टासूपविष्टासु / वसुधापालपंक्तिषु // ज्येष्टं श्रेष्टं गुणैः पुष्प-सिंहं दृष्ट्वा स हृष्टवान् // 51 // एकं पुरुषमपब-किमेतत्परमं पुरं // को वा नृपोऽत्र का कन्या / या नवित्री स्वयंवरा // 55 // तेनोक्तं गुणनामभ्यां / लक्ष्मीपुरमिदं पुरं // लक्ष्मीशेखरराजस्य / कन्या कुसुममालिका // 53 // तावदेव समाया|| तातत्र घोतितदिक्तटा // कन्या कुसुममालाख्या / सख्या दर्शितमार्गगा // 54 ॥वक्त्रेण / / PRP.Ac: Gunrathasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust