________________ प्रत्येक विकल्पं निज प्रोच्य / क्षमयामास सादरः // 35 // परलोकपथ पांथ-पाथेयेन सहोदरं // परमेष्टिनमस्कारं / तस्यै मुनिवरो ददौ // 33 // प्रपद्य जावसारं सा। शुलध्यानपरायणा // पंचत्वं प्राप्य सौधर्म-देवलोके सुरोऽनवत् // 34 // अवधिज्ञानविज्ञात-निजपूर्वजवः सुरः / आगत्य दीप्यमानांगो / ननाम मुनिपुंगवं // 35 // पुरोऽस्माकं समस्तानां / स्ववृत्तांतपुरस्सरं // परमेष्टिनमस्कार-फलमाख्यातवान् सुरः // 36 // विधाय राजहंस्याश्च / रूपं पुत्री. मपलियत् // स्नेहो यस्मादपत्येषु / सर्वस्नेद शिरोमणिः // 3 // विजहार महीपीठे। पद्मदेवमुनीश्वरः // जवाब्धौ पततां प्राण-नृतां त्राणकृते कृती // 30 // तदादि तापसैः सर्वैविपूर्व निरंतरं // परमेष्टिनमस्कारो / ध्यायते गुण्यते सदा // 35 // उन्मुक्तबालजावां तां बालां मह्यं प्रदाय सः // सुरः खस्थानकं प्राप / पुत्रीवावर्धतोटजे // 40 // नो रत्नसिंह रा. जेंड / धन्या कन्या तबातिथेः // किंचित्प्रत्युपकाराय / मयेयमुपढौकिता // 41 // तत्पाणिग्रहणेनाद्य / जन्मास्याः सफलीकुरु // सौंदर्यादिगुणाः स्त्रीणां / निष्फलाः सत्पति विना // // 45 // यदादिशथ यूयं त-प्रमाणमिति जल्पता // रत्नसिंहनरेंडेणां-गीकृता वनसुंदरी / / PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust