________________ चरित्रं प्रत्येक का प्राणवनात् // रे दैव विहितारण्ये / कारुण्यं तन्न ते हृदि // 1 // इत्यादि सुचिरं || कादं 1 विलपंती विलोकिता // एकया मम तापस्या / पृष्टा कष्टनिबंधनं // 25 // श्रवदश्रुपयोधारा / सरसीभूतभूतला // सा गजदादरं सर्वं / वरूपं तत्पुरो जगौ // 23 // तापस्या सा वयस्येव / नीतास्मिन्नाश्रमांतरे // पुरो मम समग्रोऽपि / तवृत्तांतो निवेदितः // 24 // मया सा जणिता वत्से / मा रोदीव सुस्थिता // स्वमातृरिव पश्यैतां-स्तापसां स्तिष्ट चाश्रमे // 25 // इत्युक्ता वत्सलैक्यैि -मनाग्मनसि सुस्थिता // तस्थावत्राश्रमे गर्न। वहंती पितृगेहवत् // 36 // संप्राप्तें समयेऽसूत / सा सुतामद्जुताकृति // सूतिरोगोरगग्रस्ता। मृत्यवस्थामवाप सा // 7 // श्तश्च विहरन् भूमौ / पद्मदेवमुनीश्वरः // अवधिज्ञानमासाद्य / स्वखरूपं व्यलोकयत् // 27 // राजहंसी सती ज्ञात्वा / तच्च व्यंतरचेष्टितं // हा मया सा सुशीलापि। कलंकेन कलंकिता // श्ए // असदोषाधिरोपेण / यदुःखं लजतेऽपरः // अध्यारोपकलोकस्य / ततोऽनंतगुणं नवेत् // 30 // तदद्यापि सुशीलां तां / जाग्गत्वा क्षमयाम्यहं // चारणर्षि। युत इति / विचार्यात्र स आययौ // 31 // अंत्यावस्थागतां तां सादर्शनेन प्रमोदयन् // कु PP-Ac. Gunratnasuri M.S. . Jun Gus Aaradhak Trust