________________ १ण्णा किं न लिनी न हंसैः / संगं च नँगैः कुरुतेंतरंगं // ए // अनेन कृतसंकेता / विश्रामस्य मि पादिह // एषा रदत्यदो स्त्रीणां / कपट किंचिदुत्कटं // 10 // तदेतां बहुपापां किं / हत्वा चरित्र पापी जवाम्यहं // त्यक्तनार्यों विचिंत्येति / चलितस्तत्प्रदेशतः // 15 // गतस्तस्य मार्गात श्चारणश्रमणोऽमिलत् // प्रबुद्धस्तचोनिः स / व्रतमार्हतमाश्रयत् // 13 // सममाणिक्यलोष्टोऽथो। विशिष्टतपसोज्ज्वलः // खगधारासमं सम्यक् / संयमं सोऽप्यपालयत् // 14 // अथ सा राजहंसी ख-मपश्यंती प्रियं चिरात् // साशंका सर्वदेशेषु / व्यलोकत वनांतरे // // 15 // तं क्वाप्यनीक्षमाणा सा / जयोव्रांताऽपतलुवि // निश्चेष्टा काष्टवत्कष्टा-छाताहतलतेव सा // 16 // दणादासाद्य चैतन्यं / विललापेति खिता // प्राणनाथ कथं त्यक्ता / निराधारात्र कानने // 17 // पितृमात्रादिकं मुक्त्वा / नवानेवाश्रितो मया // नविष्यामि कथं नाथ / त्यक्ताथ जवताप्यहं // 17 // निर्दोषामशरण्यां मा-मरण्ये त्यजतस्तव // नौ. चिती यत्सदोषापि / त्याज्या कृत्वा परीक्षणं // 15 // सनाथं नाथ जवता य-दासीन्मे त्रिदिवोऽधिकं // तदैवैतछनं जरे-ऽधुना प्रेतवनाधिकं // 20 // अहं गर्भवती बाला / वियुः / / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust