________________ प्रत्येक ।पि। गबन प्राप महाटवीं // 6 // वर्षती शरधारानि-रकस्मात्तावदुत्थिता / धाटी धाराधरेणाजा / ज्वलदस्त्रतमिहरा // 7 // कुमारसेवकैः साकं / चिरं युद्धमजायतः // बहुलैः शबरैः केचित् / पंचत्वं प्रापिता भटाः // // केविनयविनीतांगा। दश दिक्षु परए लायिताः // एकाक्येव कुमारोऽस्थात् / प्रियारक्षणतत्परः // ए // युध्यमानेन. सरंजाकरटी निर्धाटिताखिला // बलिष्टेन कुमारेण / मेघमालेव वायुना // ए // नृत्यानामूकत्यानि / कृत्वा स प्राचलत्ततः // एकया प्रियया युक्तः। स्वकीयनगरंप्रति // ए१ ॥गबन क्रमेण संप्राप्तः / सोऽस्मिन्नेव तपोवने // राजहंसी पथि श्रांता। जगाद प्राणवसनं // ए॥ स्वामिन्नस्मिन् वने रम्ये / रम्यते कियतो दिनान् // लतानां मंगपा अत्र / संति सहसन्निनः॥ ए३ // नर्तक्य श्व दृश्यंते। चमचमरहुंकृतेः // कुर्वत्यो नित्यसंगीत-मिह वाताहता लताः // ए४ // फलजारनतीभूता-श्रूतादितरवोऽप्यमी // अर्थयंत्यतिथिं नूनं / रक्षितुं त्वां गृहागतं // ए६ // ग्रीष्मोऽपि सांप्रतं नीष्मः। काल एष समागतः // अस्मिन्न गम्यते धन्यैः / पथिकैः पथि कैश्चन // ए // एवमस्त्विति जल्पित्वा / कुमारस्तत्र तस्थिवा B.P.AD, Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust