________________ प्रत्येक मः सुतः // 6 // युग्मं // दृश्यते सुरसस्पेशी–दयो यौति सुवर्णतां // तत एवं पिता तु | भ्यं / सेवकीयापि मामदात् // 7 // इत्याकार्य वचोऽनल्प-विकल्पाकुलिताशयः॥हरिदत्तो. | जिवत्तार्व-त्सां समुत्थाय निययौ // 7 // वेगेन वनमायासी-त्पद्मदेवस्य चामिलत् // सArya | हास्यं दत्तताले च / स्वरूपं सर्वमन्यधात् // ए // कलत्रमित्रकंहितः / संहितः सेवकैः स्व कैः // हयादिषु समारुह्य / कुमारः प्राचलत्ततः // // अथो स हरिदत्तोऽपि / श्वश्रूश्वशुरयोः पुरः // गत्वोवाच जवत्पुत्री / पुत्ररूपांधुनानवत् / / 71 // सविस्मयावतुस्तौ / जामातः किमु जल्पर्सि // असंबई किमेकस्मिन् / जवे सुता सुतो जवेत् // 2 // ततस्तेन वि. खदेणं / प्रोक्तं नववधूदितं // तान्यामवाचि रे मुग्ध। वैचितः केनचिनवान् // 7 // सुरो वा खैरो वा तो / कन्यामपजहार हा // ततो व्यलोकयाजा / सर्वत्र नगरांतरे // 3 // पर वातापि कन्यायो / यावखेने न कुत्रचित् // ततः सुस्थं मनः कृत्वा / राजा राज्यमपा लेयत् // // हरिदत्तोऽपि संतम-चित्तस्तस्या वियोगतः // प्रपैदे तापसी दीका / तपास्यु॥ प्राणि सोऽर्तपत् // 5 // अचिरेणापि कालेन / मृत्वा स व्यतरोऽजवत् // श्तश्च पद्मदेवोऽ / 4 .