________________ १एए / तामंदिरांतस्तं / प्रेक्ष्य प्रारि स्थिता स्वयं // 65 // पद्मदेवराजहंस्यो-स्तत्र प्रथमदर्शने // योऽभूधर्षभरो जाने / तन्मनांस्येव तं विपुः // 66 // गांधर्वेण विवाहेन / तत्क्षणं परिणीय चरित्र तां // तषमर्पयामास / स्वमित्राय नृपात्मजः // 67 // कुमारः प्रियया युक्त-स्तस्थौ देवकु लांतरे // मित्रं नववधूवेषं / विधायेतश्च निर्गतं // 6 // विज्ञाप्य संज्ञया धान्याः। वरूपं सर्वमप्यसौ // रथमारुह्य राजेंड-जवने शीघ्रमाययौ // ६ए // लग्ने च तत्क्षणाबग्ने / हरिदतेन तेन सा // विवाहिता महामृत्या / पुरंदरनरेंदुना // 70 // मंगलाचारचारेषु / व्यतीते षु समेष्वपि // हरिदत्तस्तया साकं / संप्राप्तो वासमंदिरे // 1 // अनेकहास्यलास्यादि-वचनैस्तेन जाषिता // यावत्प्रत्युत्तरं किंचि-त्सा ददौ न नतानना // 7 // हरिदत्तेन तावत्सा / स्पृष्टा वक्षःस्थले ततः // स ज्ञातः पुरुषाकारः / किमेतदिति विस्मितः // 73 // को. ऽसि त्वमित्यपृउच्च / प्राह सा त्वत्प्रियास्म्यहं // तेनोक्तं पुरुषस्पर्शः / किमेवं तर्हि ते तनौ // 4 // तयोक्तं त्वत्करस्पर्श-प्रनावोऽयमनीदृशः // यतो पुत्रस्य चिंतार्त-देहस्य मम वै || पितुः // 35 // कुलदेवतयाख्यायि / राजहंसी सुता तव // हरिदत्तकरस्पर्शा-भविष्यत्युत्त- // P AC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust