________________ - प्रत्येक // मानसं // सरोवरमिवात्यंतं / व्यानशे संयमश्रिया // एए // प्रांजलिः प्रार्थनां चक्रे / चक्री तं मुनिपंप्रति // तात तावदिह स्थेयं / यावदायाम्यहं पुनः // 500 // जवांधपतितो राज्यचरित्रं मुखांजःखादलोलतां // त्यक्त्वाद्य निःसरिष्यामि / प्रव्रज्यासकारज्जुना // 1 // कालदेपो न कर्तव्य / इत्युक्ते गुरुणा नृपः // गृहं गत्वा निजे राज्ये / पुष्पसिंहमतिष्टपत् // 2 // सर्ववियाधराणां चा-धिपत्यं नृपपुंगवः // पुत्राय रत्नासिंहाय / स्वविद्यानिः समं ददौ // 3 // विधाय बंदिनां मोदं। मोदाकांदापरायणः // अनर्गलं महादानं / दत्वा चक्री व्रतं ललौ॥ // 4 // जोक्तुं च विषयान् मोक्तुं / समर्थस्तादृगुत्तमः // इतरः कातरो लोकः / किंचित्कर्तु. मनीश्वरः // 5 // तस्मिन्नवसरेऽनेकै-जूंपालैरपरैरपि // बहीनिश्चक्रिपत्नीजिः। प्रव्रज्या समुपापदे // 6 // पुष्पसिंहरत्नसिंहौ। सम्यक्त्वं जावपूर्वकं // पितामहादग्रहीतां / द्वादशाणुव्रतैर्युतं // 7 // गाहमानः श्रुतांशोधि / गृहंस्तत्वमणीन् मुनिः // तपांस्युग्राणि कुर्वाणो। व्य. हरदगुरुणा समं // // वैरिकुंजरविक्षोनी / नगरे मणितोरणे // शुंक्ते पुष्पसिंहो राज्यं / || सिंहवद्दलगर्जितः // ए // तस्यैवादेशमासाद्य / सद्यो विद्याधरान्वितः ॥रत्नासिंहो विमानेन। // PP:Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust