________________ प्रत्येक मिहागतौ स्तः // 6 // अजागरीक्षा प्रतिकूलदैवं / प्राप्तौ युवामुत्कंटसंकटे यत् // दैवेऽनुकूले / / निकटेऽपि तक्त्व / किमंधकारं सति जाखति स्यात् // 67 // तयोर्वचस्तत्तुदतिम चित्ते / दारस्य निदेप श्व कतेषु // अपृचतां कंपितकाययष्टी प्रचंमवाताहतवलितुल्यौ // 6 // दं गरीयो नगरं किमस्ति / का सा च कन्या किमिदं वनं च // केऽमी जनाः केन निपातिताश्च / कोऽयं भवान् बांधवकल्पजल्पः // 70 // नरः स मंदखरमित्युवाच ।नार्योऽवधार्याः सकला अनार्याः // या ज्वालयंत्यो ननु जातरूपं / कांतं लभते ज्वलनाहिशेषं // 31 // विमोह्य चेतांसि शरीरकांति / सुवर्णरूपामिव दर्शविरवा // नरान् सलोनान् शलनोपमाना / दहत्यहो दीपशिखेव नारी // // स्त्रियो रमंते मनसान्यपुंसा / वाचापरेण क्रिययापरेण // मूर्यप्रिया किं तलिनी न हंसैः / संगं च लूंगैः कुरुतेंतरंगं // 33 // प्रचंझपाखंमकरंग जूता / रंगाः समस्ता अपि संति लोके // विशेषतोऽस्या नगरति ताया / नार्याः वरूपं शृ. णुतां जवंतौ // 4 // इदं पुरं रत्नपुरानिधान-मनेकपोरैः परिपूर्णमासीत् // अथात्तरत्नैरिव रत्नराशी-रोचिः प्रपंचैरिव चंझरोचिः // 35 // तनांग्यताम्यादुदपादि राक्षसी / कांता || P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust