________________ / ततश्चक्रिविसृष्टा सा / समायाता स्वमास्पदं // 7 // अत्रांतरे प्रपंचेन / पूर्व यौ प्रतिपादितौ // // गुणचंडो गुणधर / इति संझौ सहोदरौ ॥ऽएा तयोरायुर्निजं जुक्त्वा / सागराणि चतुर्दश // लांतकाख्यदेवलोकाद् / गुणचंप्रस्ततच्युतः // 7 // अवातरत्पुष्पवत्याः / शुक्तिकाया बोदरे॥ मुक्तावत्पुष्पजृत्सिंहं / सापि स्वप्ने व्यलोकत ॥७॥संपूर्णेषु दिनेष्वेषा / पूर्वा दिगिव नास्कर // सा प्रासूत सुतं सूति-गृहदीपनदीपकं // 2 // नाम खप्नानुसारेण / पुष्पसिंह श्तीदृशं // प्रतिष्ठितं कुमारस्य / जझे चात्यंतमुत्सवः // 3 // पुनर्गते मिते काले / जीवो गुणधरस्य च // ततश्युत्वा पुष्पवत्या / गर्न एवावतीर्णवान् // // रत्नमालिकया कंठे-ऽलंकृतं सिंहमदजुतं // अपश्यजननी खप्ने / काले चाजीजनत्सुतं // 5 // महर्धापनं चक्रे / चक्री स्वनगरांतरे // रत्नसिंह इति खप्न-वशात्तस्यानियां व्यधात् // 6 // पुष्पदंतौ पुष्पदंता-विव तेजस्विनावुनौ // तावश्विनीकुमाराभा-ववर्धेतां शुजाकृती // // कलाकलापकौशख्य-मज्यस्याल्पदिनैरपि // उन्मुक्तबालजावौ तौ / जग्मतुर्यौवनं वयः // // तौ पित्रा परया भृत्या।रूपलावण्यशालिनीः // सौनाग्यमालिनीः कन्याः / प्रणयात्परिणायितौ // // बाज . P.P.AC.Guniatnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust