________________ प्रत्येक 104 कटौ कृत्वा शुनोऽर्जकं // पश्यंती हस्यते लोकैः / कुमारं व्यग्रमानसा // 45 // स्नातुं स्थिता निः कांनिश्चि-नारी निर्देहमजनं // कुगरघातादधिकं / मेने श्रुत्वा तदागमं // 6 // . कंकणान्यहिषु दिप्त्वा / नूपुराणि करेषु च // उष्टेषु चांजनं दत्वा / तं यलोकंत काश्चन // // 47 // इतीक्ष्यमाणः साश्चर्यैः / संत्रांतैः प्रमदाजनैः // प्राप्तौ राजांगणहारे ।मंगलाचारपू. र्वकं // 4 // प्राविशत्तत्र राज्ञा च / वासनार्धे निवेशितः // पृष्टो देशांतरोदंतं / सोऽपि सर्व न्यवेदयत् // भए // दणांतरादथोत्थाय / कुमारो गृहमंतरा, // गत्वा कीर्तिमती राझी / सवित्री सादरोऽनमत् // 5 // तिस्रस्त्रिन्योऽपि लोकेभ्य / उध्धृतैः शुजगाणुनिः // घटिता व तेन स्व-प्रिया मातुः प्रदार्शताः // 51 // प्रणेमुस्ता अपि स्वीयां / श्वश्रू वात्सत्यशालिनी // तयापि चाशिषा पुत्रः / सनार्यों मुदितः कृतः // 55 // पृष्ट्वा कुशलवृत्तांतं / प्रणम्य जननी पुनः // आगत्य स्वपितुः पार्श्वे / नृत्यवत्तत्र तस्थिवान् // 53 // अथो शुजदिने प्राप्ते / विधाय तिलकं स्वयं / / स्वराज्यमभृतयशसे / कीर्तिसारनृपो ददौ // 55 // गुरोविमलचंदस्य पार्श्वे वैराग्यरंगवान् // राजादत्त महादान-मादत्त व्रतमार्हतं // 55 // अथातयशा रा- || P.P.AC.Gunratnasuri M.S..