________________ प्रत्येक ना // 33 // पुत्रोऽमृतयशा विद्या-धरराजेंजराजितः // आगजन् वर्तते तातं / त्वां नेटयितु | मुद्यतः // 34 // इति श्रुत्वा तदा राजा / तथातुष्यद्यथादमः // वक्तुं कोऽपि न मूकांगि जुक्ताम्रमधुरत्ववत् // 35 // तस्मै सुवर्णमाणिक्य-प्रमुखं पारितोषिकं // दानं दत्वा नृपोऽवादी-छत्स त्वं गड संमुखं // 36 // दणं कुमारमायांतं / रदैतत्पुरसंनिधौ // यावद्विधीयते शोजा / शोजना नगरांतरे // 37 // इत्युक्ते सत्वरं गत्वा / स तातादेशमन्यधात् // उत्ततार कुमारश्च / पुरासन्नवनांतरे // 30 // पुत्रस्य सन्मुखोऽचाली-नगरं मणितोरणं // कृत्वा राजा शुजस्तनो-तंजितानंततोरणं // 35 // आयांतं तातमालोक्य / विमानादवतीर्य च // लुग्न् बुग्न् महीपीते। कुमारस्तं नमोऽकरोत् // 40 // राजाप्युत्थाप्य सस्नेह-मालिंग्यैव स्थितश्चिरं // वारंवारं शिरोदेशे / चुचुंब निजमंगजं // 41 // पृष्ट्वा कुशलवृत्तांतं / राजारुह्य मतंगजं // अंगजं निजमुत्संग-मारोप्य प्राविशत्पुरं // 45 // मागधैर्मण्यमानासु / छंदः. षट्पदगीतिषु // वाद्येषु वाद्यमानेषु / पुरांतः प्राप भूपः // 43. // तदाभून्नगरक्षोज / आगछत्तमदाजनः // ढलघृतघटान् मुक्त्वा / कुमारमवलोकितुं // 4 // काचित्खबालकात्या। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust