________________ / दृष्ट्वा तान् हृष्टमानसः // सोऽपृबत्कुशलोदंतं / मातापित्रोः कृतादरः // 3 // तैरूचे कुश- || लं देव / सर्वेषामपि विद्यते // परं तव वियोगेन / पुरमप्यस्ति दुःखितं // 24 // किं कथ्यते चरित्र कुमारऽ / त्वपित्रोदुःखमस्ति यत् // त्वपितुएंजिकां माता / धत्तेऽथो कंकणास्पदे // 25 // 12 इति श्रुत्वामृतयशा / गलत्स्थूलाश्रुलोचनः // उवाच श्वशुरं राजन् / दुर्विनीताग्रणीरहं // // 26 // धिग्मां येन निजस्तातो / फुःखांजोधौ निपातितः // न सोढं च वचस्तस्य / विक्रीतैर्यस्य गम्यते // 27 // स्तन्यपाना जननी पशूना-मादारलाना च नराधमानां // . श्रागेहकर्मावधि मध्यमाना-माजन्म तीर्थ तु नरोत्तमानां // 27 // तन्मया जननी सौवा-धमे. नासुखिनी कृता // ततः स जयसेनेन / दुःखं कुर्वन्निवारितः // श्ए / उक्तं च नोः कुमारे / नापराधस्तवैष यत् // मत्पुत्रिका दिनाग्येन / समाकृष्टस्त्वमागतः // 30 // उत्कृष्टदानस माने / दत्वा सोऽथ विसृष्टवान् // कुमारः प्राचलत्सार्थे / नीत्वा कनकमंजरीं // 31 // पितु तॄत्यान् समारोप्य / विमानेषु ननोऽध्वनि // चरन्नचिरकालेन / स प्राप पुरसंनिधौ // 3 // // एको विद्याधरो गत्वा / त्वरितः संसदि स्थितं // कीर्तिसारनृपं प्राह / राजन् वर्धाप्यसेऽधु || Jun Gun Aalaalaust