________________ चारवं प्रत्येक // 11 // सत्कृत्यात्यंतदानेन / कमलध्वजभूजुजा // विसृष्टः सपरिवारो-ऽचलजयपुरंप्रति // // 15 // आगट्योममार्गेणा-चिरकालेन तत्पुरं // अकस्माज्जयसेनस्य / सजायां च समाय यौ // 13 // खवियोगांतपाबुष्य-दर्शनोत्थमुदंबुनिः // कुमारः पूरयामास / मेघवन्नृपमानसं 101 | // 15 // ससंत्रमं समुत्तस्थौ / सन्मुखं तस्य नूपतिः // यालिलिंग कुमारें / वासनार्धे न्य वेशयत् // 15 // अप्रादीत्कुशलोदंतं / दंतकांत्यावनासयन् // सजामजाषत स्वीयं / स्वरूपं || खयमप्यसौ // 16 // विसिष्मये नरेंप्रेण / सत्यापि समस्तया // जोजनानंतरं चोचे / सु.।। खासीनं तमादरात् // 17 // कुमार शृणु वृत्तांतं / त्वयि रात्रावतर्किते // गतेऽहं व्याकुलोऽ. भूवं / प्रनाते त्वदनावतः // 17 // मयैव प्रेषितैः प्रेष्यै-नवंतमवलोकितुं // भ्रमन्निः पृथिवीपीठे / दृष्टास्त्वपितृसेवकाः // 15 // एकमेवात्मनां कार्य-मित्युक्त्वा मिलितैश्च तैः // (विलोकितोऽसि देशेष्व-नेकेषु नामितः परं // 7 // ततः खिन्नाः समायाताः / सर्वेऽपि मम सन्निधौ // मया च रक्षिता अत्र ।त्यदीयागमनाशया // 1 // त्वयि सांप्रतमायाते / फलितं || मन्मनोरथैः // इत्युक्त्वा भूजुजा तस्य / पितुर्नृत्याः प्रदर्शिताः // 22 // अथामृतयशा राजा PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust