________________ जो // थानीय निजसैन्यांतः / स्वविमाने निवेश्य तं // अपहृत्य हस्तिरूपं / सोऽजूरखा- 11 नाविकाकृतिः // 1 // किमेतदिति संत्रांतो। नरेंजो यावहते // तावदने सुतां सौवां / कचार लहंसीमलोकत // 2 // सापि तातपदांनोज / प्रणनाम मुहर्मुहः // सोऽपि तामंकमारोप्या 170 -प्रादी वृत्तांतमादितः // 3 // तयापि निजतातस्य / पुरस्तात्स निवेदितः // राझोक्तं पु त्रि में चित्रं / हस्ती व्योनि चचौल यत् // 4 // अन्यच्च मामिहानीय / क्वचिद् दृष्टोऽपि नो पुनः // विहस्य कलहंस्याह / वजामातृकृतं ह्यदः // 5 // तद्द्वात्वा निजजामातुः। कला कौशलमद्भुतं // चित्ते चमत्कृतोऽपश्य-त्तन्मुखं सोऽनिमेषक् // 6 // तावत्तत्र समायातं / पश्यदंबरमुन्मुखं // गजगत्यनुसारेणा-गछत्सैन्यं नरेशितुः // 7 // शंकया प्रतिसैन्यस्य / या. वत्सजी नवत्यदः // तावत्तत्र निजं नाथ-मासनासनमैदत // 7 // जामातुः पुत्रिकायाश्चागमं श्रुत्वा नरेशितुः // मुदिताः सैनिकाः सर्वे / जझिरे धन्यमानिनः // ए // राज्ञा महामहैः सारः / कुमारी वेशितः पुरे // लुंजानो विषयांस्तत्र / तस्थौ कतिपयान् दिनान् // 1 // // अन्यदा मिशि सुतोऽसौं। जार्यां कनकमंजरीं // अस्मार्षीन्मिलनोस्कंग / तदेवोत्पद्यतेस्म च || P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust