________________ प्रत्येक ज्यामि / संसारविरताशयः // इत्युक्त्वा खेचरेंजेण। खेचरा मेलिताः समे // // कृत्वामृ तयशःशीर्षे / तिलकं मणिकुंमलः // सर्व विद्याधराध्यदं / निजराज्यं ददौ मुदा // ए ॥वयं चरित्र शाश्वतचैत्यानि / वंदित्वातिसविस्तरं // दमसारमुनींजस्य / पार्श्वे व्रतमुपाददे // 70 // तत्रा१७॥ मृतयशा राज्यं / श्रीमंदिरपुरेऽकरोत् // सर्वखेचरराजें-सेवितांहिपयोरुहः // 7 // अन्यदा पुष्पवत्याथ / विज्ञप्तः कीर्तिसारभूः // स्वामिन् मातरपित्रोमें। महद्छुःख जविष्यति // // 2 // तत्तत्र गमनं कृत्वा / दत्वा च निजदर्शनं // मत्पित्रोमित्रवन्नाथ / प्रबोधय हृ. दंबुजं // 3 // ततोऽमृतयशा विद्या-धरराजिपरिवृतः // बिमानेोतयन् व्योमा-चालीचक्रेश्वरं प्रति // 4 // चलन् गगनमार्गेण / कालादल्पतरादपि // चक्रेश्वरपुरासन्नं / समागात्पुरुहूतवत् // 5 // तावदेको जनो गत्वा / सुरशेखरभुजुजं // अवर्धयन्महाराज / जामाता ते समागतः // 6 // पुष्पवत्या च ते पुत्र्या। सहैव पुरसन्निधौ / / इत्याकर्ष्यामृतेनेव / सिक्तोऽतोषन्महीपतिः // 7 // चचाल संमुखं स्मेर-मुखो जामातुरेषकः // कुमारोऽपि पुरासन्न-मुत्ततार-महीतले // 7 // आसन्नं श्वशुरं दृष्ट्वा / विमानादवतीर्य सः // नमोऽकार्षीत्कु- // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust