________________ ___ चरित्रं मेलिवः // विज्ञप्यं विद्यते तच्च / गेहे विज्ञपयिष्यते // 56 // औषध्या तिलकं कृत्वा / खनावस्थे प्रिये कृतेः // ताज्यां च सहितस्तत्र / कुमारो मारवहनौ // 57 // थारुह्य खेचरें। उत्स्य 4 विमानं सप्रियोऽथ सः // चलितः क्रमतः प्राप्तः / श्रीमंदिरपुरं पुरं // 50 // प्रवेशकमह-पूर्व / महता विस्तरेण तं // खेचरेंडः समानीय / वासने समतिष्टपत् // एए // उवाच च कुमारेख / शृणु विज्ञलिका मम // अत्रैव कुर्वता राज्य-मैयेरुबहवो दिनाः // 67 // संति सद्गुणसंपन्ना / बहवोऽपि मम स्त्रियः॥ परं कापि प्रसूता नो / पुत्र राज्यधुराधरं // 6 // पुत्राः प्रायो न जायते / कुले विनवशालिनि // उत्तमे चंदने वृदे। फलं नोत्पद्यते किल / // 6 // ज़वेच्च पुत्रबाहुल्यं / दारिद्याकुलिते कुले // बायासौरज्यमुक्त च / करीरे बहुलं फवं // 3 // मंत्रतंत्रप्रयोगैमें / देवानां चौपयाचितैः॥ समस्तैर्विफलैर्नृतं ।पुलोत्पत्तिकृते कृतैः // 6 // अथान्यदा. समायातो। दमसारो महामुनिः॥ ज्ञानत्रयप्रदीपांशु-दीपितस्वांतमंदिरः // 65 // मया सपरिवारेण / गत्वा नेमे मुनीश्वरः // अनुकंपापरोऽस्मासु / प्रारेने सोऽविदेशनां // 66 // यः प्राप्य दुःप्राप्यमिदं नरत्वं / धर्म न यत्नेन करोति मूढः // क्लेश P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust