________________ प्रत्येक विवोकृतौ // मुष्टामुष्टि महामर्षा-दयुध्येतामुलौ चिरं // 45 // अथोत्पत्य कुमारेण / मु ष्ट्रिघातेन खेचरः // तथा हतो यथा भूमौ / पपात गतचेतनः // 46 // अत्रांतरे कुमारस्य / | शीर्षे हर्षधरैः सुरैः // मुक्ता पुष्पावली व्योनि / चक्रे जयजयारवः // 4 // उक्तं च नविता चक्री / सैषोऽमृतयशा इह // सेवतां सोऽस्य पत्पमं / यो हि जीवितुमिबति // 4 // दणाध्यावृत्तचैतन्यः / खेचरो मणिकुंमलः // देवानां तां गिरं श्रुत्वा / कुमारांही ननाम सः॥ ॥४ए // उवाच चापराधं मे / दमस्वाजानतः कृतं // प्रणामांतरुषः संतो। जति जुवनांतरे // // कुमारेण ततोऽवादि / नापराधस्तवैष यत् // शूराणां परमो हर्षः / संग्रामारंजतो नवेत् // 51 // अद्य यावन्मया दृष्टो / न जटोऽत्र भवादृशः // अथैव नवता दत्तं / मम संग्रामकौतुकं // 55 // खेचस्ततोऽवादी-देहि श्रीमंदिरं पुरं // मयि प्रसादमाघेहि / देहि स्वामिन् मदीप्सितं // 53 // तावचत्र समायाते / कारीरूपे प्रिये उन्ने // दृष्ट्वा च खेचरोऽपल-कुमारं के श्मे इति // 54 // कुमारेणापि वृत्तांतः।सर्वस्तस्य निवेदितः // सोऽप्यूचे साधु साध्वेषा / धिषणा ते विचक्षणं // 55 // यथा निवारितः पापा-दहं त्वं मे च | . P.P.AC.Gurwatnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust