________________ चरित्र प्रत्येक स.विस्मितः // यत्पिति सुधा देवाः / किमस्या रूपमेव तत् // 33 // पुनः सा यक्षिणी प्रा || ह / कुमार त्वहियोगतः // एषा तिष्टति कष्टेन / पद्मिनीव दिनात्यये // 34 // ततः कृपाप "रा साहं / त्वामानेतुं समागम // पुरे जयपुरे यत्र / प्रासादांतः स्थिते त्वयि // 35 // जवं. 164 || तमपहर्तुं सा-धिष्टिता चित्रपुत्रिका // पतितां खटिका हस्ते / दत्वा तुज्यं ननाम या // // 36 // चिंतितं च मया तत्र / कुमारे सांप्रतं हृते // नूनं कनकमंजर्या / महदुःखं नविष्यति // 37 // विचिंत्येति स्थिता तत्र / व्यतीते पाणिपीमने // सांप्रतं तुरगरूपं / कृ. त्वा वाहमिहानयं // 30 // तनः कुमार करुणां / कृत्वात्यंतानुरागिणीं // परिणीय कुरुष्वै. तां / प्रमोदजरमेदुरां // ३ए // आशापयति यद्देवी / कुमारेणेति जल्पिते // यक्षिण्या कलहंसी सा / स्वनावस्था विनिर्मिता ॥४०॥परिजनसंहिता निर्यक्षिणीप्रेरितालि-स्तदुपकृतियुताजिनिर्मितो देवतानिः // तमजनि विवाहो व्यूढहर्षप्रवाहो। नृपतिसुतकुमार्योः स्मेरित स्वर्गनार्योः // 42 // अतृप्तनयना देव्यः। पश्यंत्यस्तो वधूवरी / / स्वचक्षुरनिमेषित्वं ।सफलं तत्र मेनिरे ॥४शा पूर्वपुण्यप्रनावेण / वशीकृतजगत्त्रय // कुमार प्रतिपत्तिं ते / कां कुर्यान्मादृशो PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust