________________ प्रत्येक चरित्र सचेतसा // तमेव स्मरति खाते / कलहंसीव मानसं // 11 // कीर्तिसारनृपस्यांते / कुमारा। नयनार्थिना // प्रेषिताः सेवकाः सौवाः / कमलध्वजभुजुजा // 12 // तैर्गत्वा कीर्तिसारस्य / स्वरूपं तन्निवेदितं // शल्ये प्रचालित श्व / सोऽत्यंत दुःखितोऽजवत् // 13 // विललाप महीपालो / गृह्णन् पुत्रगुणान् मुखे // उदश्रुनयनः प्राह / धैर्य धृत्वा क्षणांतरे॥ 14 // उत्पद्य मद्गृहे वीर-नीरधाविव निःसृतः // क्वचित्स्थानांतरे सोम / श्वासौ शोजतेऽधुना // 15 // मद्धृत्यैर्नित्यमुचुक्तै-देशे देशे विलोकितः॥ समुजपतितं रत्न-मिव लेने न कुत्रचित् // 16 // अथ पुण्यानुजावेन / स चेदिह समेष्यति // कमलध्वजभूजर्तु-रुक्तं तर्हि करिष्यते // 17 // इत्युक्त्वा तेन भूपेन / विसृष्टैस्तैः समागतैः // कमलध्वजराजस्य / स्वरूपं तनिवेदितं // 17 // प्रेष्य प्रेष्यनिजैः सोऽपि / सर्वदेशेष्वदर्शयत् // परं कुमारवार्तापि / न केनचिदुदाहृता // 15 // कलहंसी स्वरूपं तत् / श्रुत्वा दुःखादचिंतयत् // धिग्मां यन्मदभाग्येन / कुमारोऽपि न लभ्यते // 20 // उद्यौवनां पिता कन्यां / गृहे न स्थापयिष्यति // प्रातीऽमृतयशा नो त-न्मामन्यस्मै प्रदास्यति // 1 // कायेन मनसा वाचा। वहजो मे स / / P.P.AC. Gunrainasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust