________________ प्रत्येक मागत्य / विलग्ने कंठकंदले // 20 // ज्ञात्वा व्यतिकरं राजा। तत्रागाद् रुदती सुतां ॥आ. रोप्यांक समाश्वास्य / शस्यास्यामित्यबुधत् // 1 // अन्यथा चिंत्यते कार्य-मन्यथा कुरुते चरित्रं विधिः // दुर्निवारः सुते दैव-व्यापारः किं विधीयते // 2 // इत्यादिवचनैः पित्रा। सलजोन च बंधुना // उक्ता सा विषयान् मुक्त्वा / तापसं व्रतमग्रहीत् // 3 // यक्षिणी कृतकृत्याथ / ततः स्वस्थानमासदत् // प्रपाख्य तापसी दीक्षा / मृत्वा वनलता ततः ॥४॥जदपेदे कमलध्वज-भूजुजो मंदिरे सुतात्वेन // कलहंसीति च तस्या / विनिर्ममे नाम जनकेन // 5 // प्राप्ता क्रमेण वृधि / निदाघकाले समुअवेलेव // उद्यौवना जनन्या / प्रहिता सा भूपतेः पार्थे // 6 // अंके निवेश्य तां राजा / चित्ते चिंतातुरोऽजवत् // तावन्नैमित्तिकः कोऽपि / तत्रागबदतर्कितः // 7 // सत्कृत्य भूजुजा पृष्टो / वद नैमित्तिकोत्तम // अस्याः सु. तायाः को जावि / कुमारः प्रवरो वरः // 7 // निमित्तानमालोक्य / तेनैवमुदितं मुदा // मणितोरणपूःस्वामि-कीर्तिसारनृपात्मजः // ए॥ जाविचक्रपदो जावी / वरोऽमृतयशास्तव / / // पुत्रिकाया महाराजे-त्युक्त्वा स खाश्रयं ययौ // 10 // कक्षहंस्यामृतयशा / वत्रे खामी || P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust