________________ मार याथातः। स्फारभंगारधारकः / / ए // दृष्ट्वा परपुरुषं / रुषारुणितलोचनः // उवाच कोऽसि रे मूर्ख / मुमूर्षो मद्ग्रहांतरे // एरे // कस्त्वं किमर्थमायासि / मद्ग्रहे पहिलोऽसि चरित्र किं // रे जार नृपफुनोऽहं / जोमान् ! जोक्तुमिहागमं // ए // कया स्त्रिया समं जोगान् / जोक्तुमबागतोऽसि किं / नार्या बनलतामेतां / किमंध न हिं पश्यसि // ए३ ॥रे जात्यंध नागिनीं स्वां / बायर्या जरूपन्न खजसि // इति श्रुत्वा कुमारोऽथ / चित्तेऽत्यंतं चमत्कृतः // --एa // विनायो जायते प्रायः / प्रविष्टः परमंदिरे // राजापि च यथा चंयो। दिने दिनकरालये // 5 // अयं सहायकायस्तु / निर्जीकः सन् वदत्यदः // तन्मन्येऽसौ न सामान्यो / दिव्यरूपोऽस्तिकश्चन // 6 // एवं विचिंत्य चित्तांतः / कुमारः प्राह तंप्रति // जोः सत्पुरुष जमिनी / कथमेषा नवेन्मम // // एकैव जमिनी मेऽस्ति / विजया जयशालिनी // एतां तु परिणीयाहं / समागां श्रीपुरात्पुरा // ए // विधाय जयसुंदर्या / रूपं तत्कणमेव हि // सर्व स्वरूपमाख्यायि / य|| क्षिण्या दक्षिणोक्तिभिः // एए // प्रत्यक्षां जननीं दृष्ट्वा / हर्षशोकाकुलाशयौ // पुत्रपुत्र्यौ स PP.AC GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust .