________________ प्रत्येक तितो प्रदिशाम्यहं // ए // महाप्रसाद इत्युक्त्वा / राज्ञा सा कन्यिकाददे // तिरोऽभ्यः || क्षिणी राजा / जगाम च निजं पुरं // 70 // पुत्रीजन्मोत्सवं कृत्वा / कृता वनलतानिधा // चरित्रं याज्ञा राज्ञा च राशीभ्य-स्तत्पालनकृते ददे॥१॥ नरेंजदेवी निरमत्सरानि-स्तुत्येन वा. सत्यज़लेन सिक्ता // सावर्धत श्रीधरभूपगेहे / सुपर्ववतीव सुपर्वशैले // 2 // अजानता नरेंण / यौवनस्थाथ सा सुता // तबंधुनैव विजय-कुमारेण विवाहिता.॥ 3 // विजूर्ति महतीं दत्वा / विसृष्टो भुजुजाथ सः॥ आजगाम निजं धाम / नार्यावनलतायुतः ॥७॥सं. ग्रामसागरो राजा / जहर्ष सह नागरैः // अनुरूपरूपवंतौ / दंपती तो विलोकयन् // 5 // यत्कृतं नगिनीजात्रो-विधात्रा पाणिपीमनं // मन्ये तेनैव पापेन / स जनादृश्यतां गतः // // 6 // अवांतरेऽवधिज्ञाना-यक्षिणी जयसुंदरी // सुखिता पुःखिसा वा मे / उहितास्ती. त्यलोकत // // परिणीतां सुतां जात्रा / दृष्ट्वा कष्टं चकार सा // चित्ते चाचिंतयद् प्राज्यां / / / कृतो नायापि संगमः // 7 // बोधयाम्यधुना तेन / गत्वाहं स्त्ररिता सती॥ एवं विचिंत्य // संध्यायां / सागाइनलतागृहे ॥.ए // कृत्वा रूपं परपुंसः / स तस्थौ तत्र जर्तृवत् // . ताव P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust