________________ 16 जाति रुषा श्वान / मुशवेन जघानं ते // 4 // जयनीता पुरानष्टा / सा जगाम महावने // ) एकथा वैश्यया त्यक्तां / बाला तेत्र ददर्श सा // 40 // भूपकन्यानुरूपां तां / रूपलावण्यशाचरित्रं लिनीं // दृष्ट्वा सा मुदितां चिंत्ते / तामगृह्णानिधानवत् // 4 // करयोः संपुटे कृत्वा। तत्र केनाप्यलदिता // सागत्य पालयामास / नृपपुत्रीमिवादरात् // 50 // ततः सा वर्धते तत्र / नलिनीक संवरे // विजयेति कृतं तस्या / अनिधानं नृपादिभिः // 50 // सुताथ जयसुंदयो / मार्जार्या पत्तिता मुखात् // रोदितिस्म सचीत्कारा / शरण्ये शरणोज्जिता // 51 // तत्पुण्यप्रेस्तिा तत्री-गता कुर्वती क्रीमम // अद्रादीचुदती बालां / यक्षिणी जयसुंदरी // // 55 // तां दृष्ट्वा करुणापूर्णा / चिंतयामास कास्त्यसौं // अवधिज्ञानतो ज्ञात्वा / स्वपुत्री स्नेहलानवत् // 53 // मानवीरूपमाधाय / स्तन्यपानमचीकरत् // शुश्रूषयति तां नित्यमघत्यस्नेहविह्वला // 55 // पालिता जयसुंदर्या / त्यक्त दिव्यांगजोगया // सा सतवार्षिकी ज. / खेलंती मृगवालकैः // 55 // आसन्न श्री पुरस्वामी। श्रीधरो धरोऽन्यदा। आखेटककृते प्राप-दरण्ये तत्र शत्रुवत् / / 56 // निहंतुं हरिणा वाणा-नारुरोप स कोपवान् // INE P.P.AC.Gunsatnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust