________________ चरित्रं - --- -- प्रत्येक यक्षिणी // 36 // धात्र्याश्च विमालाख्यायाः / पित्रां पुत्री समर्पिता // बाला तस्यां प्रम त्तायां / मार्जार्यापहृतान्यदा // 3 // स दृष्टाशु शुनैकेन / स्वामिनक्तेन तत्क्षणं // तस्याः पृष्टे दधाव श्वा / कृतांत श्व भीषणः // 30 // मुख कन्यां गृहीत्वा तां / पृष्टमत्यजता शु१५५ ना // त्रास्यमाणा जयोव्रांता-ऽरण्ये मार्जारिका ययौ // ३ए // तत्रापि पृष्टलग्नेन / तेना क्रांतेव साजवत् // ततो मुक्त्वा मुखात्कन्यां / नष्टा सा काननांतरे // 40 // नश्यंती तरुगहने / गृहीत्वा कुपिताशयः // कृतापराधां तां स श्वा / स्वामिजक्तो व्यनाशयत् // 4 // नटवत्कृतकार्योऽसौ / रुधिरारुणिताननः // प्रत्यागतो विमलया / दृष्टश्चकितया तया // 4 // कन्यां विलोकयामास / सा सर्वत्र गृहांतरे // हृदयं तामयामास / पश्यंती नष्टरत्नवत् // // 43 // व्याकुला चिंतयामास / नूनं दुष्टशुनामुना // नदिता सा कथमसा-वन्यथा रुधिरारुणः॥४४॥ नदीनारीनरेंडाणां / नागानां च नियोगिनां // नखिनां च न विश्वासः / कर्तव्यः शुलमिलता // 45 // बुटिष्यामि कथं देव / जीवंती तत्पितुः पुरः // उत्तरं किं प्र. / / दास्यामि / तद्ञातुर्विजयस्य च // 46 // तन्मे मरणं शरण-मथवेतः पलायनं // विचिंत्ये --- P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust