________________ चरित्र 14 पोका विचिंत्येति प्रतिश्लोकं / दत्वा ददलताकरे // प्रेषीत्साप्यार्पयत्तस्यै / वाचयामास सा यथा // // 70 // विचित्रं चरितं पुंसां / विचित्रा कर्मणां गतिः॥ नारीपुरुषतोयाना-मंतरं परमं नुवि // 1 // तनावार्थ परिझाय / कुमारे सा कुमारिका // अनुरक्ताऽनवहाढं / चकोरीव निशाकरे // 72 // प्राते लग्नदिने संध्या-समये पाणिपीमनं // तयोर्महामहःपूर्व / भूमीपतिरचीकरत् // 33 // कल्पकल्पवख्योर्वा / मुद्रिकारत्नयोरिव // दृष्ट्वा हृष्टैस्तयोर्योगः / कैः | कैर्लोर्न वर्णितः // 4 // स तुर्ये वासरे प्रौढ-प्रेमाढ्यां प्रेयसी जगौ // त्वत्प्रेषिताया था. र्याया। जावार्थ कथय प्रिये // 35 // आह सा श्रूयतां स्वामिन् / सावधानेन चेतसा॥ पुर्यस्त्यत्र घनद्रव्य-संचया धनसंचया // 6 // तत्र वेदरुचिर्विप्रो / वेदश्रीस्तस्य गेहिनी // झुंजानौ विषयानेतौ ।दंपती तिष्टतः सुखं // 7 // परोपकारिणी शील-सौरज्यसहितापिसा // परं दैववशाजझे / निष्फला चंदनवत् // 7 // पृष्ट्वा वेदश्रियं वेद-रुचिः संतानहेतवे // पर्यणैषीन्मनोझांगीं / कन्यका विनयश्रियं // पुए // विनयादिगुणै रूप-श्रिया च विनयश्रिया // // यावर्जितो हिजो जज्ञे / तस्या एव वशंवदः // 70 // वेदश्रीः कुरुते गेहे / कर्म कर्मक- || PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust