________________ 14 समागतस्तत्र गजाधिरूढः // घुसे बज़न्मागधगीतगीत-कोलाहलापूरितदिग्विजागः॥ ५ए। विपत्यतिकटादानि / वरमाला श्वोज्ज्वला // अनुरागवती कन्या-निमेषा तं व्यलोकत // // 60 // सख्या.निवेदिता रायै / पुत्र्यास्तदनुरक्तता // तयापि भूपतेर। स्वरूपं तारूपित // 61 // कुमारमाकारयतिम राजा / बध्ध्वा गजं सोऽपि गजेंगत्या // आगत्य नत्वा नृपति सभायां / दत्तासनोऽस्थाहहुमानपूर्व // 6 // कुमारप्रतिपत्तिं ते / को वा कर्तुं दमो चवेत् // परमस्मत्सुतां पाणि-ग्रहणेनानुग्रहाण जोः // 63 // इत्युदीर्य महावीर्य-मरक्षन्नरनायकः // हिजैरजीगणबग्न-मायातं तदिनत्रयात् // 64 // अयो कनकमंजर्या / सैव ददाबता सखी // कुमारस्यांतिके प्रैषि / प्रदायार्या करांबुजे // 65 // एकांते सा पुनर्गत्वा / कु. माराय समार्पयत् / / तामार्यामार्यबुद्धिः स / वाचयामास तयथा // 66 // ज्ञातः पुरुषस्नेहो / दुःखमसह्यं ततः समनुभूतं // जीवितुकामो जीवः / को जाननेव विषमत्ति // 67 // झातार्थश्चितयामास / जातजातिस्मृतिसौ // पूर्वजन्मनि केनापि / पुरुषेण कदर्थिता // 6 // यदेवं पुरुषोष-गार्जितं वचनं जगौ // अस्या आवर्जनकृते / योग्यं स्यादिदमेव हि ॥६ए॥ .P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust